“भारत सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए नई आत्मरक्षा ट्रेनिंग योजना शुरू की है, जिसका लक्ष्य 2025 तक लाखों महिलाओं को सशक्त बनाना है। यह योजना स्कूलों, कॉलेजों और सामुदायिक केंद्रों में मुफ्त प्रशिक्षण प्रदान करेगी, जिसमें आत्मरक्षा तकनीक, कानूनी जागरूकता और आपातकालीन प्रतिक्रिया शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम सामाजिक बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण है।”
भारत में महिलाओं की सुरक्षा के लिए नया कदम: आत्मरक्षा प्रशिक्षण योजना
भारत में महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा की घटनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने 2025 में एक महत्वाकांक्षी आत्मरक्षा ट्रेनिंग योजना की घोषणा की है। यह योजना, जिसे महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और गृह मंत्रालय के सहयोग से लागू किया जा रहा है, देश भर में महिलाओं को आत्मरक्षा की तकनीकों से लैस करने का लक्ष्य रखती है। इसका उद्देश्य न केवल शारीरिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है, बल्कि महिलाओं में आत्मविश्वास और कानूनी जागरूकता को बढ़ावा देना भी है।
योजना का दायरा और कार्यान्वयन
इस योजना के तहत, सरकार ने स्कूलों, कॉलेजों, और सामुदायिक केंद्रों में मुफ्त आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने की योजना बनाई है। 2025 के अंत तक, कम से कम 50 लाख महिलाओं और युवतियों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। ये शिविर शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में आयोजित किए जाएंगे, ताकि हर वर्ग की महिलाएं इसका लाभ उठा सकें। प्रशिक्षण में मार्शल आर्ट्स, बेसिक सेल्फ-डिफेंस तकनीक, और आपातकालीन स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया जैसे विषय शामिल होंगे। इसके अलावा, महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों, जैसे कि घरेलू हिंसा अधिनियम और यौन उत्पीड़न से संबंधित कानूनों की जानकारी दी जाएगी।
विशेषज्ञों की राय
सामाजिक कार्यकर्ता और महिला सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. रंजना कुमारी का कहना है कि यह योजना महिलाओं को न केवल शारीरिक रूप से सशक्त बनाएगी, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी बदलाव लाएगी। “महिलाओं को आत्मरक्षा सिखाने से उनकी मानसिकता में बदलाव आएगा। वे खुद को कमजोर समझना बंद करेंगी और समाज में अपनी जगह को और मजबूती से स्थापित करेंगी,” उन्होंने कहा।
स्थानीय स्तर पर प्रभाव
उत्तर प्रदेश, बिहार, और दिल्ली जैसे राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस योजना की शुरुआत हो चुकी है। उदाहरण के लिए, दिल्ली के एक सामुदायिक केंद्र में आयोजित पहले शिविर में 500 से अधिक महिलाओं ने हिस्सा लिया। प्रशिक्षण के दौरान, महिलाओं ने न केवल आत्मरक्षा की तकनीक सीखी, बल्कि आपातकालीन हेल्पलाइन नंबरों, जैसे 112 और 181, के उपयोग के बारे में भी जागरूकता प्राप्त की।
चुनौतियां और समाधान
हालांकि, इस योजना के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों की कमी और सामाजिक रूढ़ियों के कारण महिलाओं की भागीदारी कम हो सकती है। इसके लिए सरकार ने गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) और स्थानीय प्रशासन के साथ साझेदारी की है, ताकि जागरूकता अभियान चलाए जा सकें। साथ ही, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स जैसे यूट्यूब और व्हाट्सएप के माध्यम से ऑनलाइन प्रशिक्षण मॉड्यूल भी उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे दूरदराज की महिलाएं भी इसका लाभ उठा सकें।
सामाजिक बदलाव की दिशा में
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या में 4% की वृद्धि हुई थी। इस योजना को इस तरह के आंकड़ों को कम करने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आत्मरक्षा प्रशिक्षण न केवल महिलाओं को व्यक्तिगत स्तर पर सशक्त बनाएगा, बल्कि समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में भी मदद करेगा।
अन्य सरकारी प्रयासों के साथ तालमेल
यह योजना बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और किशोरी शक्ति योजना जैसी मौजूदा योजनाओं के साथ मिलकर काम करेगी। इसके तहत, स्कूलों में किशोरियों के लिए विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे, जहां उन्हें आत्मरक्षा के साथ-साथ जीवन कौशल और नेतृत्व क्षमता का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
आगे की राह
सरकार ने इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रारंभिक बजट आवंटित किया है, जिसमें प्रशिक्षकों की भर्ती, प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना, और जागरूकता अभियानों का खर्च शामिल है। अगले दो वर्षों में, इस योजना को देश के सभी जिलों तक विस्तारित करने की योजना है।
डिस्क्लेमर: यह लेख भारत में महिलाओं की सुरक्षा के लिए शुरू की गई आत्मरक्षा ट्रेनिंग योजना पर आधारित है। जानकारी सरकारी घोषणाओं, विशेषज्ञों के बयानों, और विश्वसनीय समाचार स्रोतों से एकत्रित की गई है। यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है और किसी भी कानूनी सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।