“उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025 में सस्टेनेबल भविष्य के लिए नई नीतियां शुरू की हैं। सोलर एनर्जी, बायो-एनर्जी, और इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर देते हुए, यूपी 22 GW सोलर पावर और कार्बन न्यूट्रल लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। ‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’ जैसे अभियानों से हरियाली को बढ़ावा दे रहा है।”
उत्तर प्रदेश का हरित क्रांति: 2025 की सस्टेनेबिलिटी नीतियां
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025 में पर्यावरण संरक्षण और सस्टेनेबल विकास के लिए कई महत्वपूर्ण नीतियां लागू की हैं, जो राज्य को हरित भविष्य की ओर ले जा रही हैं। इन नीतियों का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निपटना, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना, और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करना है।
सोलर एनर्जी में क्रांतिकारी कदम
यूपी सरकार ने अपनी सोलर एनर्जी पॉलिसी के तहत 2027 तक 22 गीगावाट सोलर पावर उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इस दिशा में, झांसी और बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में सोलर पार्क स्थापित किए जा रहे हैं। रूफटॉप सोलर इंस्टॉलेशन और फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट्स को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा की पहुंच बढ़ रही है। सोलर पैनल्स की स्थापना के लिए सब्सिडी और आसान लोन योजनाएं भी शुरू की गई हैं, ताकि आम नागरिक भी इस क्रांति का हिस्सा बन सकें।
बायो-एनर्जी पॉलिसी 2022: ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल
बायो-एनर्जी पॉलिसी 2022 के तहत, यूपी सरकार ने कंप्रेस्ड बायो-गैस (CBG) और बायो-डीजल जैसे स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन की घोषणा की है। CBG के लिए ₹75 लाख प्रति टन और बायो-कोल के लिए ₹75,000 प्रति टन की वित्तीय सहायता दी जा रही है। बायोडीजल प्रोजेक्ट्स के लिए ₹3 लाख प्रति यूनिट की सहायता, अधिकतम ₹20 करोड़ तक, उपलब्ध है। ये योजनाएं न केवल पर्यावरण को स्वच्छ रखेंगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेंगी।
‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’: हरियाली की पहल
2025 में ‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’ अभियान के तहत, उत्तर प्रदेश ने 37.21 करोड़ पेड़ लगाए, जिसमें 3.50 करोड़ पेड़ प्रमुख नदियों के किनारे लगाए गए। नीम, मोरिंगा जैसे देशी प्रजातियों पर विशेष ध्यान दिया गया है। यह अभियान न केवल हरियाली को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि नदियों के संरक्षण और औद्योगिक व ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यावरण संतुलन को भी मजबूत कर रहा है।
इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर तेजी से कदम
यूपी सरकार ने 2030 तक सभी सरकारी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) से बदलने का निर्णय लिया है। 15 साल से अधिक पुराने वाहनों को स्क्रैप करने की नीति लागू की गई है। इसके साथ ही, चार्जिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ाने और EVs के लिए सब्सिडी देने की योजनाएं शुरू की गई हैं। यह कदम वायु प्रदूषण को कम करने और सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण साबित होगा।
चुनौतियां और भविष्य की राह
हालांकि ये नीतियां आशाजनक हैं, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं। सोलर और बायो-एनर्जी प्रोजेक्ट्स के लिए बड़े पैमाने पर निवेश और तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता है। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता और बुनियादी ढांचे की कमी एक बाधा है। सरकार ने इन समस्याओं से निपटने के लिए निजी क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की योजना बनाई है।
वैश्विक मंच पर यूपी की पहचान
उत्तर प्रदेश की ये नीतियां न केवल राज्य, बल्कि पूरे भारत के लिए जलवायु परिवर्तन से निपटने में एक मॉडल बन सकती हैं। केंद्र सरकार की नेशनल एक्शन प्लान ऑन क्लाइमेट चेंज (NAPCC) के तहत सोलर मिशन और सस्टेनेबल एग्रीकल्चर जैसे लक्ष्यों के साथ तालमेल बिठाते हुए, यूपी अपनी हरित पहचान को मजबूत कर रहा है।
Disclaimer: यह लेख उत्तर प्रदेश सरकार की हालिया नीतियों, सोशल मीडिया पोस्ट्स, और विश्वसनीय वेब स्रोतों पर आधारित है। जानकारी को यथासंभव सटीक रखने का प्रयास किया गया है, लेकिन पाठकों को नवीनतम अपडेट्स के लिए आधिकारिक स्रोतों की जांच करने की सलाह दी जाती है।