“उत्तर प्रदेश सरकार की ग्रीन फार्मिंग पहल 2025 में जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। नई ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन स्कीम से किसानों को कम लागत में सर्टिफिकेशन, ट्रेनिंग और मार्केटिंग सपोर्ट मिलेगा। यह योजना पर्यावरण संरक्षण, मिट्टी की उर्वरता और किसानों की आय बढ़ाने पर केंद्रित है। यूपी के 11 जिलों में 35,000 एकड़ में जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है।”
उत्तर प्रदेश में जैविक खेती: नई सर्टिफिकेशन स्कीम का प्रभाव
उत्तर प्रदेश सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए ग्रीन फार्मिंग के तहत ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन स्कीम को मजबूत किया है, जो 2025 में किसानों के लिए गेम-चेंजर साबित हो रही है। इस योजना का उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को कम करना, मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाना और किसानों की आय में वृद्धि करना है।
2017-18 से शुरू इस स्कीम के तहत, यूपी के 11 जिलों में गंगा किनारे 700 क्लस्टर बनाए गए हैं, जिनमें 21,142 किसान 35,000 एकड़ भूमि पर जैविक खेती कर रहे हैं। सरकार ने उत्तर प्रदेश ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स काउंसिल के माध्यम से थर्ड-पार्टी सर्टिफिकेशन और पार्टिसिपेटरी गारंटी सिस्टम (PGS) को लागू किया है, जो छोटे और सीमांत किसानों के लिए सस्ता और सुलभ है।
कैसे काम करती है यह स्कीम?
इस स्कीम के तहत, किसानों को जैविक खेती के लिए ट्रेनिंग, वर्मीकम्पोस्ट पिट, नाडेप पिट निर्माण, और जैविक इनपुट्स की आपूर्ति के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। प्रत्येक विकास खंड में एक मास्टर ट्रेनर नियुक्त किया गया है, जो किसानों को जैविक खेती की तकनीकों, जैसे बायोफर्टिलाइजर्स और बायोपेस्टीसाइड्स के उपयोग, के बारे में प्रशिक्षित करता है। इसके अलावा, जैविक उत्पादों की मार्केटिंग और ब्रांडिंग के लिए मेलों, प्रदर्शनियों और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसे Jaivik Kheti पोर्टल का उपयोग किया जा रहा है।
किसानों के लिए लाभ
कम लागत, अधिक मुनाफा: जैविक खेती से रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होती है, जिससे उत्पादन लागत में 30-40% की कमी आती है।
प्रमाणन का आसान रास्ता: PGS सर्टिफिकेशन छोटे किसानों के लिए सस्ता है, जो थर्ड-पार्टी सर्टिफिकेशन की तुलना में कम खर्चीला और सामुदायिक विश्वास पर आधारित है।
वैश्विक बाजार में पहुंच: जैविक उत्पादों की मांग वैश्विक स्तर पर बढ़ रही है। यूपी के किसान अब अपने उत्पादों को यूरोप और अमेरिका जैसे बाजारों में निर्यात कर सकते हैं।
पर्यावरण संरक्षण: यह स्कीम मिट्टी की उर्वरता और जल संरक्षण को बढ़ावा देती है, जिससे पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित होती है।
यूपी में जैविक खेती का विस्तार
मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र के बाद यूपी अब जैविक खेती के क्षेत्र में तेजी से उभर रहा है। 2023-24 में भारत ने 3.6 मिलियन मीट्रिक टन प्रमाणित जैविक उत्पादों का उत्पादन किया, जिसमें यूपी का योगदान उल्लेखनीय रहा। सरकार ने 2025 में जैविक खेती के लिए 3900 क्लस्टरों में काम शुरू किया है, जिसमें कृषि, बागवानी और रेशम विभाग मिलकर काम कर रहे हैं।
चुनौतियां और समाधान
जैविक खेती को अपनाने में सबसे बड़ी चुनौती है जागरूकता और प्रारंभिक लागत। कई किसानों को जैविक मानकों और सर्टिफिकेशन प्रक्रिया की जानकारी नहीं होती। सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम और एक्सपोजर विजिट्स का आयोजन किया है। इसके अलावा, जैविक उत्पादों की मांग को बढ़ाने के लिए Jaivik Bharat और PGS Organic India जैसे लोगो का उपयोग अनिवार्य किया गया है।
भविष्य की संभावनाएं
2025 में यूपी सरकार ने जैविक खेती के लिए नए लक्ष्य रखे हैं, जिसमें 1 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को जैविक खेती के तहत लाने का लक्ष्य शामिल है। साथ ही, NABARD और Agriculture Infrastructure Fund के तहत जैविक उत्पादों के लिए पोस्ट-हार्वेस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए ऋण उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यह स्कीम न केवल किसानों की आय बढ़ाएगी, बल्कि भारत को विश्व का सबसे बड़ा जैविक खाद्य उत्पादक देश बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है।
Disclaimer: यह लेख समाचार, सरकारी योजनाओं और वेब पर उपलब्ध जानकारी पर आधारित है। अधिक जानकारी के लिए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग या Jaivik Kheti पोर्टल पर जाएं।