“उत्तर प्रदेश में सोलर पंप किसानों के लिए गेम-चेंजर साबित हो रहे हैं। पीएम-कुसुम योजना के तहत 54,000 से अधिक किसानों को सब्सिडी पर सोलर पंप दिए जा रहे हैं, जो डीजल और बिजली की निर्भरता कम करते हैं। यह पर्यावरण के लिए फायदेमंद है और किसानों की आय बढ़ाने में मदद करता है। 2026 तक 1 लाख सोलर पैनल का लक्ष्य है।”
यूपी में सोलर पंप: किसानों के लिए हरित क्रांति की शुरुआत
उत्तर प्रदेश, भारत का कृषि-प्रधान राज्य, अब सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक नया कदम उठा रहा है। पीएम-कुसुम (प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवम् उत्थान महाभियान) योजना के तहत, राज्य सरकार ने 2024-25 के लिए 54,000 से अधिक किसानों को सब्सिडी पर सोलर पंप प्रदान करने की घोषणा की है। यह पहल न केवल किसानों की लागत कम कर रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा स्वतंत्रता की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
सोलर पंप, जो सूर्य की ऊर्जा से संचालित होते हैं, डीजल और ग्रिड बिजली पर निर्भरता को खत्म करते हैं। ये पंप विशेष रूप से उन ग्रामीण क्षेत्रों में उपयोगी हैं जहां बिजली की उपलब्धता सीमित है। एक अनुमान के अनुसार, सोलर पंप किसानों को प्रति वर्ष 50,000 रुपये तक की बचत करा सकते हैं, जो डीजल पंपों की तुलना में कहीं अधिक किफायती है। इसके अलावा, ये पंप ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 25.3 मिलियन टन तक कम कर सकते हैं, जो भारत के पेरिस समझौते के लक्ष्यों के अनुरूप है।
पीएम-कुसुम योजना के तीन प्रमुख घटक हैं। घटक A के तहत, किसान बंजर भूमि पर 500 किलोवाट से 2 मेगावाट तक की सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर सकते हैं और अतिरिक्त बिजली डिस्कॉम को बेचकर आय अर्जित कर सकते हैं। घटक B में, 1.4 मिलियन स्टैंडअलोन सोलर पंप स्थापित करने का लक्ष्य है, जो ऑफ-ग्रिड क्षेत्रों में सिंचाई के लिए आदर्श हैं। घटक C ग्रिड-कनेक्टेड पंपों को सौर ऊर्जा से जोड़ने पर केंद्रित है, जिससे किसान अतिरिक्त बिजली बेच सकते हैं। उत्तर प्रदेश ने इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभाई है, जहां 1 लाख सोलर पैनल स्थापित करने का मिशन मोड में कार्य चल रहा है।
हाल के आंकड़ों के अनुसार, भारत में अब तक 2,95,000 से अधिक ऑफ-ग्रिड सोलर पंप स्थापित किए जा चुके हैं। उत्तर प्रदेश में, महाराष्ट्र के बाद सबसे अधिक सोलर पंप स्थापित किए गए हैं, जहां 1,00,000 से अधिक पंप पहले ही किसानों को लाभ पहुंचा रहे हैं। ये पंप 2 HP से 10 HP तक की क्षमता में उपलब्ध हैं, जिससे छोटे और सीमांत किसानों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार विकल्प मिलते हैं। सब्सिडी के तहत, सरकार 60% तक लागत वहन करती है, जबकि शेष राशि के लिए आसान ऋण सुविधा उपलब्ध है।
हालांकि, चुनौतियां भी कम नहीं हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सोलर पंपों के अंधाधुंध उपयोग से भूजल का अति-दोहन हो सकता है। राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में भूजल स्तर में कमी देखी गई है, जिसके लिए सरकार को निगरानी और नियंत्रण की मजबूत नीति लागू करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, सोलर पंपों का उपयोग केवल कुछ महीनों तक सीमित रहता है, जिसके कारण इनकी क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं हो पाता। यूनिवर्सल सोलर पंप कंट्रोलर (USPC) जैसे नवाचार इस समस्या को हल कर सकते हैं, जो सौर ऊर्जा को अन्य कार्यों जैसे चारा काटने या कोल्ड स्टोरेज के लिए उपयोग करने की अनुमति देते हैं।
किसानों के लिए सोलर पंप न केवल आर्थिक लाभकारी हैं, बल्कि ये उनकी आय को दोगुना करने की सरकारी रणनीति का भी हिस्सा हैं। एक ओर जहां ये पंप सिंचाई को नियमित और विश्वसनीय बनाते हैं, वहीं दूसरी ओर अतिरिक्त बिजली बेचकर किसान अतिरिक्त आय कमा सकते हैं। उदाहरण के लिए, राजस्थान के एक किसान रमेश ने सोलर पंप अपनाने के बाद अपनी फसल की पैदावार में 25-30% की वृद्धि देखी और लागत में कमी आई।
सरकार ने सोलर पंपों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। उत्तर प्रदेश में ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली शुरू की गई है, जो पारदर्शिता सुनिश्चित करती है। इसके अलावा, निजी क्षेत्र और वित्तीय संस्थानों के साथ साझेदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि छोटे किसानों के लिए सोलर पंप सुलभ हो सकें।
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