“उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025 में इन्फ्लुएंसर आउटरीच नीति लागू की, जो ब्रांड्स और क्रिएटर्स के लिए नए अवसर खोल रही है। यह नीति पारदर्शिता, स्थानीय प्रभाव और डिजिटल मार्केटिंग को बढ़ावा देगी। जानें कैसे यूपी के इन्फ्लुएंसर नियम बदल रहे हैं और इसका आपके बिजनेस पर क्या असर होगा।”
यूपी की नई इन्फ्लुएंसर नीति: क्या है खास?
उत्तर प्रदेश सरकार ने जनवरी 2025 में एक नई इन्फ्लुएंसर आउटरीच नीति की घोषणा की, जिसका उद्देश्य डिजिटल मार्केटिंग को और अधिक व्यवस्थित और प्रभावी बनाना है। यह नीति स्थानीय इन्फ्लुएंसर्स को बढ़ावा देने, पारदर्शिता सुनिश्चित करने और ब्रांड्स के लिए नए अवसर पैदा करने पर केंद्रित है। नीति के तहत, इन्फ्लुएंसर्स को अब अपने कंटेंट में स्पष्ट रूप से प्रायोजित पोस्ट का उल्लेख करना होगा, जो FTC (Federal Trade Commission) दिशानिर्देशों से प्रेरित है। इसके अलावा, यूपी सरकार ने स्थानीय भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए इन्फ्लुएंसर्स को क्षेत्रीय कंटेंट पर फोकस करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
मुख्य बिंदु:
पारदर्शिता पर जोर: सभी इन्फ्लुएंसर्स को प्रायोजित कंटेंट में #Ad या #Sponsored जैसे टैग्स का उपयोग करना अनिवार्य होगा। यह उपभोक्ताओं के बीच विश्वास बढ़ाने और भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए है।
स्थानीय इन्फ्लुएंसर्स को प्राथमिकता: नीति में यूपी के माइक्रो और नैनो-इन्फ्लुएंसर्स को प्रोत्साहन देने पर जोर दिया गया है, जो स्थानीय भाषाओं जैसे हिंदी और भोजपुरी में कंटेंट बनाते हैं। सरकार का मानना है कि ये क्रिएटर्स स्थानीय दर्शकों के साथ गहरा जुड़ाव रखते हैं।
डिजिटल प्रशिक्षण कार्यक्रम: यूपी सरकार ने इन्फ्लुएंसर्स के लिए डिजिटल मार्केटिंग और कंटेंट क्रिएशन पर मुफ्त प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं। यह विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को डिजिटल अर्थव्यवस्था में शामिल करने के लिए है।
ब्रांड्स के लिए नए नियम: ब्रांड्स को अब इन्फ्लुएंसर्स के साथ अनुबंध करते समय यूपी के डिजिटल मार्केटिंग बोर्ड के साथ रजिस्ट्रेशन करना होगा। इससे अनुचित प्रथाओं पर रोक लगेगी और करदाताओं को लाभ होगा।
साइबर सुरक्षा पर फोकस: नीति में इन्फ्लुएंसर्स को साइबर सुरक्षा जागरूकता फैलाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है, विशेष रूप से यूपीआई और डिजिटल लेनदेन के बढ़ते उपयोग को देखते हुए।
प्रभाव और अवसर:
यह नीति यूपी के डिजिटल मार्केटिंग परिदृश्य को बदल सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्थानीय इन्फ्लुएंसर्स को बढ़ावा देने से छोटे व्यवसायों को लाभ होगा, क्योंकि वे कम बजट में प्रभावी मार्केटिंग कर सकेंगे। उदाहरण के लिए, लखनऊ के एक स्थानीय माइक्रो-इन्फ्लुएंसर, जिसके 20,000 फॉलोअर्स हैं, ने हाल ही में एक स्थानीय कपड़ा ब्रांड के साथ साझेदारी कर 30% अधिक बिक्री दर्ज की।
हालांकि, कुछ इन्फ्लुएंसर्स का कहना है कि अनिवार्य रजिस्ट्रेशन और सख्त नियम उनकी रचनात्मक स्वतंत्रता को सीमित कर सकते हैं। इसके जवाब में, सरकार ने स्पष्ट किया कि यह नीति रचनात्मकता को दबाने के लिए नहीं, बल्कि एक व्यवस्थित और विश्वसनीय डिजिटल इकोसिस्टम बनाने के लिए है।
कैसे तैयार हों?
इन्फ्लुएंसर्स के लिए: अपने कंटेंट में पारदर्शिता बनाए रखें। स्थानीय भाषा और संस्कृति पर फोकस करें। सरकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल हों।
ब्रांड्स के लिए: सही इन्फ्लुएंसर्स चुनें, जिनके दर्शक आपके टारगेट मार्केट से मेल खाते हों। यूपी के डिजिटल मार्केटिंग बोर्ड के साथ रजिस्टर करें।
उपभोक्ताओं के लिए: प्रायोजित कंटेंट को पहचानें और केवल विश्वसनीय इन्फ्लुएंसर्स की सलाह पर भरोसा करें।
डिस्क्लेमर: यह लेख उत्तर प्रदेश सरकार की आधिकारिक घोषणाओं, विशेषज्ञों के बयानों और डिजिटल मार्केटिंग क्षेत्र से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। यह कोई कानूनी सलाह नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे आधिकारिक दस्तावेजों का अध्ययन करें।