2025 में यूपी की डिजिटल साक्षरता क्रांति: सोशल मीडिया ट्रेनिंग से बदलाव

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“उत्तर प्रदेश सरकार की डिजिटल साक्षरता पहल 2025 में लाखों लोगों को सोशल मीडिया और ऑनलाइन सुरक्षा की ट्रेनिंग दे रही है। यह कार्यक्रम ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में डिजिटल स्किल्स को बढ़ावा दे रहा है, खासकर महिलाओं और युवाओं के लिए। फर्जी खबरों से बचाव और ऑनलाइन अवसरों का लाभ उठाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।”

उत्तर प्रदेश में डिजिटल साक्षरता: सोशल मीडिया का नया दौर

उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025 में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किया है, जिसका फोकस सोशल मीडिया ट्रेनिंग और ऑनलाइन सुरक्षा पर है। यह पहल, जिसे ‘डिजिटल यूपी’ के नाम से जाना जा रहा है, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोगों को डिजिटल दुनिया से जोड़ने का लक्ष्य रखती है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, इस कार्यक्रम के तहत 50 लाख से अधिक लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है, जिसमें महिलाएं, युवा और वरिष्ठ नागरिक शामिल हैं।

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लोगों को सोशल मीडिया के सही उपयोग, फर्जी खबरों (होक्स) की पहचान और ऑनलाइन गोपनीयता की सुरक्षा जैसे विषयों पर शिक्षित करना है। यूपी के शिक्षा विभाग और स्थानीय स्वशासन निकायों के सहयोग से, यह ट्रेनिंग स्कूलों, कॉलेजों और सामुदायिक केंद्रों में आयोजित की जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह पहल न केवल डिजिटल डिवाइड को कम कर रही है, बल्कि लोगों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जरिए रोजगार और शिक्षा के अवसरों से जोड़ रही है।

2025 में, यूपी के कई जिलों में डिजिटल साक्षरता कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं। लखनऊ, कानपुर और वाराणसी जैसे शहरों में पायलट प्रोजेक्ट्स ने उत्साहजनक परिणाम दिखाए हैं। उदाहरण के लिए, लखनऊ में आयोजित एक कार्यशाला में 10,000 से अधिक महिलाओं ने सोशल मीडिया मार्केटिंग और ऑनलाइन साइबर सुरक्षा की ट्रेनिंग ली। ग्रामीण क्षेत्रों में, कुटीर उद्योगों से जुड़ी महिलाएं अब WhatsApp और Instagram जैसे प्लेटफॉर्म्स का उपयोग अपने उत्पादों को बेचने के लिए कर रही हैं।

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इसके अलावा, सरकार ने डिजिटल साक्षरता को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल करने की योजना बनाई है। कक्षा 8 से 12 तक के छात्रों के लिए विशेष मॉड्यूल तैयार किए गए हैं, जो उन्हें सोशल मीडिया एटिकेट, डेटा प्राइवेसी और ऑनलाइन सामग्री की विश्वसनीयता की जांच करने की कला सिखाते हैं। एक हालिया सर्वे में पता चला कि 70% से अधिक युवा सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों को पहचानने में असमर्थ हैं, जिसके कारण यह ट्रेनिंग और भी जरूरी हो जाती है।

कार्यक्रम के तहत, यूपी पुलिस ने भी साइबर क्राइम से बचाव के लिए जागरूकता अभियान शुरू किए हैं। 2025 के पहले छह महीनों में, साइबर ठगी के मामलों में 15% की कमी दर्ज की गई, जो इस ट्रेनिंग की सफलता को दर्शाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल साक्षरता न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा को बढ़ावा देती है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास में भी योगदान देती है।

हालांकि, चुनौतियां भी कम नहीं हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और स्मार्टफोन की उपलब्धता अभी भी एक बड़ी बाधा है। इसके बावजूद, सरकार ने 5G नेटवर्क के विस्तार और कम लागत वाले स्मार्टफोन्स की आपूर्ति के लिए कई कंपनियों के साथ साझेदारी की है। साथ ही, स्थानीय भाषाओं में ट्रेनिंग सामग्री प्रदान करके भाषाई बाधाओं को भी दूर करने की कोशिश की जा रही है।

Disclaimer: यह लेख उत्तर प्रदेश सरकार के डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम, हाल के सर्वे, और विशेषज्ञों के बयानों पर आधारित है। जानकारी को विश्वसनीय स्रोतों से लिया गया है, लेकिन पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे आधिकारिक स्रोतों से तथ्यों की पुष्टि करें।

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