“पंजाब सरकार ने 2025 में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए नई हरित क्रांति योजना शुरू की है। यह योजना अवशेष-मुक्त खेती, रासायनिक उर्वरकों के कम उपयोग और किसानों की आय बढ़ाने पर केंद्रित है। अमृतसर में बासमती की खेती से शुरुआत हो चुकी है, जिससे पर्यावरण और मिट्टी की सेहत को लाभ मिलेगा।”
पंजाब में नई हरित क्रांति: जैविक खेती की ओर कदम
पंजाब, जिसे 1960 के दशक में हरित क्रांति का अगुआ माना जाता था, अब एक बार फिर कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने की दिशा में बढ़ रहा है। इस बार फोकस रासायनिक खेती से हटकर जैविक और अवशेष-मुक्त खेती पर है। पंजाब सरकार ने 2025 में “जैविक खेती प्रोत्साहन योजना” शुरू की है, जिसका उद्देश्य पर्यावरण को संरक्षित करते हुए किसानों की आय को बढ़ाना और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना है।
इस योजना के तहत अमृतसर जिले के चोगावां ब्लॉक में बासमती फसल की खेती को एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया है। इस प्रोजेक्ट में रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग न्यूनतम या बिल्कुल नहीं किया जाता। इसके बजाय, फसल चक्र, हरी खाद, और कंपोस्ट जैसी प्राकृतिक विधियों को अपनाया जा रहा है। पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुदियां ने बताया कि इस योजना के तहत किसानों को कीटनाशकों के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए जागरूक करने हेतु एक व्यापक अभियान भी चलाया जा रहा है। बासमती फसल पर 10 प्रमुख कीटनाशकों और कवकनाशकों के उपयोग पर प्रतिबंध भी लगाया गया है।
पंजाब में हरित क्रांति की शुरुआत 1960 के दशक में हुई थी, जब उच्च उपज वाली किस्मों (HYV) के बीजों, रासायनिक उर्वरकों, और आधुनिक सिंचाई तकनीकों ने राज्य को अनाज का भंडार बना दिया था। लेकिन इस क्रांति के नकारात्मक प्रभाव, जैसे मिट्टी की उर्वरता में कमी, जल संकट, और पर्यावरण प्रदूषण, अब सामने आ रहे हैं। रासायनिक खेती की अत्यधिक निर्भरता ने पंजाब की मिट्टी को थका दिया है, जिसके कारण अब जैविक खेती की ओर रुख करना जरूरी हो गया है।
2025 की इस नई योजना में सरकार ने कई प्रोत्साहन भी शामिल किए हैं। किसानों को जैविक खेती के लिए सब्सिडी, प्रशिक्षण, और बाजार सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। उदाहरण के लिए, जैविक उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए “एक जिला एक उत्पाद” (ODOP) जैसी योजनाओं के साथ तालमेल किया जा रहा है। इसके अलावा, पंजाब सरकार ने बासमती जैसे उच्च मूल्य वाली फसलों को बढ़ावा देने के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की है, जिसमें जैविक प्रमाणन और मार्केटिंग सहायता शामिल है।
हालांकि, चुनौतियां भी कम नहीं हैं। जैविक खेती में शुरुआती निवेश और उत्पादन लागत अधिक हो सकती है। कई किसानों को रासायनिक खेती से जैविक खेती में परिवर्तन के लिए तकनीकी ज्ञान और संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को ग्रामीण स्तर पर प्रशिक्षण केंद्र और जैविक खेती के लिए अनुसंधान को और बढ़ावा देना होगा।
पंजाब की यह नई पहल न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह किसानों की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर सकती है। जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग, खासकर शहरी क्षेत्रों और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में, इस योजना को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यदि यह पायलट प्रोजेक्ट सफल होता है, तो इसे पूरे राज्य में लागू किया जा सकता है, जिससे पंजाब एक बार फिर देश में कृषि नवाचार का नेतृत्व कर सकता है।
Disclaimer: यह लेख विभिन्न ऑनलाइन स्रोतों, समाचार रिपोर्टों, और सरकारी घोषणाओं पर आधारित है। जानकारी की सटीकता के लिए संबंधित सरकारी पोर्टल या विशेषज्ञों से सलाह लें।