पंजाब सरकार ने 2025 में खरीफ मक्का के लिए नई फसल विविधीकरण योजना शुरू की है, जिसमें किसानों को प्रति हेक्टेयर 17,500 रुपये की सब्सिडी मिलेगी। बठिंडा, कपूरथला और गुरदासपुर में लागू इस योजना से 30,000 किसान लाभान्वित होंगे। यह योजना आय बढ़ाने, जल संरक्षण और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देगी।
पंजाब में फसल विविधीकरण योजना 2025: किसानों की आय बढ़ाने का नया अवसर
पंजाब सरकार ने किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने के लिए 2025 में एक नई फसल विविधीकरण योजना शुरू की है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक फसलों जैसे धान और गेहूं पर निर्भरता को कम करना और वैकल्पिक फसलों की खेती को प्रोत्साहित करना है। विशेष रूप से खरीफ मक्का की खेती पर जोर देते हुए, यह योजना बठिंडा, कपूरथला और गुरदासपुर जिलों में लागू की गई है।
इस योजना के तहत, किसानों को खरीफ मक्का की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 17,500 रुपये की सब्सिडी प्रदान की जाएगी। पंजाब के कृषि विभाग के अनुसार, इस पहल से लगभग 30,000 किसान लाभान्वित होंगे। इसके लिए राज्य सरकार ने मौजूदा बजट में 115 करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जो फसल विविधीकरण की अन्य योजनाओं को भी समर्थन देगा। साथ ही, कृषि और संबंधित क्षेत्रों के लिए 14,524 करोड़ रुपये का कुल बजट निर्धारित किया गया है, जिससे खेती-किसानी को और अधिक लाभकारी और टिकाऊ बनाने में मदद मिलेगी।
फसल विविधीकरण का महत्व समझाते हुए, मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह योजना न केवल किसानों की आय बढ़ाएगी बल्कि जल संरक्षण और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में भी सहायक होगी। धान की खेती के कारण भूजल स्तर में हो रही कमी को देखते हुए, मक्का जैसी कम पानी वाली फसलों को अपनाना समय की मांग है। यह योजना पर्यावरण संरक्षण और दीर्घकालिक कृषि विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
किसानों को इस योजना का लाभ उठाने के लिए अपने जिले के कृषि कार्यालयों से संपर्क करना होगा। आवेदन प्रक्रिया को सरल रखा गया है, जिसमें आधार कार्ड, जमीन के मालिकाना हक के दस्तावेज और फसल विवरण जैसे बुनियादी दस्तावेज जमा करने होंगे। कृषि विभाग ने यह भी सुनिश्चित किया है कि सब्सिडी का लाभ सीधे किसानों के बैंक खातों में डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से पहुंचे, जिससे पारदर्शिता बनी रहे।
इसके अतिरिक्त, सरकार ने आधुनिक कृषि उपकरणों पर भी सब्सिडी की घोषणा की है। सुपर एसएमएस, हैप्पी सीडर जैसी मशीनों पर 50 से 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है, जो फसल अवशेष प्रबंधन में मदद करेंगी और पराली जलाने की समस्या को कम करेंगी। यह कदम न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है बल्कि किसानों को आधुनिक तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित भी करता है।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना पंजाब के किसानों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है। मक्का की खेती न केवल कम पानी की खपत करती है, बल्कि इसकी मांग पशु चारा, औद्योगिक उपयोग और खाद्य प्रसंस्करण में भी बढ़ रही है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर मक्का की खरीद की गारंटी के साथ, किसानों को अपनी उपज के लिए बेहतर दाम मिलने की उम्मीद है।
पंजाब सरकार की यह पहल न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरणीय स्थिरता और दीर्घकालिक कृषि विकास की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। किसानों से अपील की गई है कि वे इस योजना का अधिकतम लाभ उठाएं और अपने जिले के कृषि अधिकारियों से संपर्क करें।
डिस्क्लेमर: यह लेख विभिन्न समाचार स्रोतों और सरकारी घोषणाओं पर आधारित है। योजना के लाभ, नियम और शर्तों के लिए कृपया अपने जिले के कृषि कार्यालय से संपर्क करें।