भारत में स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने के लिए मोबाइल हॉस्पिटल योजना शुरू की गई है। यह पहल ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाएं पहुंचाने का लक्ष्य रखती है। कोरबा पावर लिमिटेड ने अदाणी फाउंडेशन के साथ मिलकर 11 गांवों में मोबाइल हेल्थकेयर यूनिट शुरू की, जिसमें मेडिकल कंसल्टेंट और दवाएं उपलब्ध होंगी।
भारत में स्वास्थ्य क्रांति: मोबाइल हॉस्पिटल योजना का शुभारंभ
भारत में स्वास्थ्य सेवाओं को और सुलभ बनाने के लिए एक नई पहल के तहत मोबाइल हॉस्पिटल योजना शुरू की गई है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को समय पर चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करना है, जहां अस्पतालों तक पहुंच मुश्किल होती है। हाल ही में, कोरबा पावर लिमिटेड ने अदाणी फाउंडेशन के सहयोग से छत्तीसगढ़ के करतला और कोरबा ब्लॉक में मोबाइल हेल्थकेयर यूनिट (MHCU) की शुरुआत की है। यह यूनिट 11 गांवों—पताड़ी, खोड्डल, पहंदा, दर्राभांठा, ढनढ़नी, रिस्दीहापारा, उरगा, देवरमाल, और सरगबुंदिया—में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करेगी।
इस मोबाइल हेल्थकेयर यूनिट में एक पांच सदस्यीय टीम शामिल है, जिसमें MBBS मेडिकल कंसल्टेंट, फार्मासिस्ट, सोशल प्रोटेक्शन ऑफिसर, ड्राइवर और सहायक स्टाफ हैं। यह टीम चिकित्सा परामर्श, आवश्यक दवाओं का वितरण और स्वास्थ्य जागरूकता गतिविधियों का आयोजन करेगी। अदाणी फाउंडेशन के इस प्रयास को हेल्पेज इंडिया का समर्थन प्राप्त है, और इसका लक्ष्य ग्रामीण समुदायों में स्वास्थ्य जागरूकता और बीमारियों की रोकथाम को बढ़ावा देना है।
कोरबा पावर लिमिटेड के मुख्य व्यवसाय अधिकारी समीर मित्रा और परियोजना प्रमुख सीवीके प्रसाद ने इस पहल के शुभारंभ के अवसर पर कहा कि यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में समग्र जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस तरह की योजनाएं उन क्षेत्रों में विशेष रूप से प्रभावी हैं, जहां स्थायी स्वास्थ्य केंद्रों की कमी है।
इसके अलावा, देश के अन्य हिस्सों में भी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। उदाहरण के लिए, तेलंगाना सरकार ने 7,000 नए अस्पताल बेड जोड़ने की घोषणा की है, जो दिसंबर 2025 तक सरकारी सुपर-स्पेशियलिटी अस्पतालों में उपलब्ध होंगे। साथ ही, बिहार में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत सरकारी अस्पतालों में कमांड एंड कंट्रोल सेंटर स्थापित किए गए हैं, जिससे ओपीडी सेवाओं का समय 9:43 से घटकर 9:21 हो गया है, जिसके परिणामस्वरूप मरीजों को कम इंतजार करना पड़ रहा है।
हालांकि, कुछ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अभी भी चिंताजनक है। मोतिहारी के सदर अस्पताल में हाल ही में बिजली गुल होने के कारण डॉक्टरों को मोबाइल की रोशनी में मरीजों का इलाज करना पड़ा, जो स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को दर्शाता है। इस तरह की घटनाएं सरकार के दावों पर सवाल उठाती हैं और मोबाइल हॉस्पिटल जैसी योजनाओं की आवश्यकता को और रेखांकित करती हैं।
मोबाइल हॉस्पिटल योजना न केवल चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करेगी, बल्कि यह स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देने में भी मदद करेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की पहल ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। केंद्र और राज्य सरकारों के साथ निजी क्षेत्र की भागीदारी से इस योजना को और व्यापक किया जा सकता है, जिससे अधिक से अधिक लोगों को इसका लाभ मिल सके।
Disclaimer: यह लेख विभिन्न समाचार स्रोतों और हाल के डेटा पर आधारित है। जानकारी को यथासंभव सटीक रखने का प्रयास किया गया है, लेकिन पाठकों से अनुरोध है कि वे आधिकारिक स्रोतों से जानकारी की पुष्टि करें।