“पंजाब सरकार ने 2025 में शिक्षा क्रांति की शुरुआत की है, जिसमें सरकारी स्कूलों के लाखों छात्रों को मुफ्त टैबलेट वितरित किए जाएंगे। यह योजना डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने और ग्रामीण-शहरी अंतर को कम करने का लक्ष्य रखती है। टैबलेट में पहले से इंस्टॉल शैक्षिक ऐप्स और मुफ्त इंटरनेट की सुविधा होगी।”
पंजाब में मुफ्त टैबलेट योजना: शिक्षा में डिजिटल क्रांति
पंजाब सरकार ने 2025 में एक महत्वाकांक्षी कदम उठाते हुए सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए मुफ्त टैबलेट वितरण योजना शुरू की है। इस योजना का उद्देश्य डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देना और ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के बीच शैक्षिक असमानता को कम करना है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस पहल को “शिक्षा क्रांति” का नाम दिया है, जिसके तहत कक्षा 8 से 12 तक के छात्रों को टैबलेट प्रदान किए जाएंगे।
इस योजना के तहत, पंजाब के लगभग 10 लाख छात्रों को लाभ मिलने की उम्मीद है। प्रत्येक टैबलेट में प्री-इंस्टॉल्ड शैक्षिक ऐप्स, ई-बुक्स, और वीडियो लेक्चर होंगे, जो NCERT पाठ्यक्रम के अनुरूप होंगे। इसके अलावा, सरकार ने चुनिंदा क्षेत्रों में मुफ्त इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने की भी घोषणा की है, ताकि ऑनलाइन पढ़ाई में कोई बाधा न आए।
शिक्षा विभाग के अनुसार, टैबलेट वितरण की प्रक्रिया जुलाई 2025 से शुरू होगी और इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। पहले चरण में, अमृतसर, लुधियाना, और जालंधर जैसे प्रमुख जिलों के स्कूलों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके बाद, ग्रामीण क्षेत्रों में वितरण का विस्तार होगा। योजना के तहत, स्कूलों को डिजिटल प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा, ताकि शिक्षक और छात्र इन उपकरणों का प्रभावी उपयोग कर सकें।
पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा, “यह योजना केवल टैबलेट देने तक सीमित नहीं है। हमारा लक्ष्य है कि हर बच्चा डिजिटल युग में प्रतिस्पर्धी बन सके।” उन्होंने बताया कि सरकार ने इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। इसके साथ ही, टैबलेट की मेंटेनेंस और तकनीकी सहायता के लिए विशेष हेल्पलाइन शुरू की जाएगी।
यह योजना उन छात्रों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होगी जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और डिजिटल उपकरण खरीदने में असमर्थ हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम पंजाब की शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा और छात्रों को ऑनलाइन परीक्षाओं, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी, और तकनीकी कौशल विकसित करने में मदद करेगा।
हालांकि, कुछ चुनौतियां भी सामने हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और बिजली की अनियमित आपूर्ति इस योजना की सफलता में बाधा बन सकती है। इसके लिए सरकार ने स्थानीय पंचायतों और NGOs के साथ साझेदारी की योजना बनाई है, ताकि इन समस्याओं का समाधान किया जा सके।
पंजाब के इस कदम को अन्य राज्यों के लिए एक मिसाल के रूप में देखा जा रहा है। बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने भी इसी तरह की योजनाओं की शुरुआत की है, लेकिन पंजाब की योजना अपने व्यापक दायरे और तकनीकी फोकस के लिए चर्चा में है।
Disclaimer: यह लेख विभिन्न समाचार स्रोतों, सरकारी घोषणाओं, और विशेषज्ञों के बयानों पर आधारित है। जानकारी की सटीकता के लिए संबंधित सरकारी पोर्टल्स की जांच करें।