2025 में भारत में सोलर रूफटॉप पैनल्स की नई तकनीक घरों को सस्ती, स्वच्छ ऊर्जा प्रदान कर रही है। PM Surya Ghar Yojana के तहत ₹78,000 तक की सब्सिडी और 300 यूनिट मुफ्त बिजली से बिल में भारी बचत संभव है। उत्तर प्रदेश में ₹15,000 प्रति kW अतिरिक्त सब्सिडी उपलब्ध है। यह योजना 1 करोड़ घरों को सौर ऊर्जा से जोड़ेगी।
सोलर रूफटॉप क्रांति: 2025 में घरेलू ऊर्जा का भविष्य
भारत में सौर ऊर्जा का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, और 2025 में नई रूफटॉप सोलर पैनल तकनीक ने घरेलू ऊर्जा खपत को बदलने का रास्ता खोल दिया है। केंद्र सरकार की PM Surya Ghar Muft Bijli Yojana, जो 15 फरवरी 2024 को शुरू की गई थी, ने 1 करोड़ से अधिक घरों को सौर ऊर्जा से जोड़ने का लक्ष्य रखा है। इस योजना के तहत, घरेलू उपभोक्ताओं को 3 kW तक के सोलर सिस्टम के लिए ₹78,000 तक की सब्सिडी और प्रति माह 300 यूनिट मुफ्त बिजली मिल रही है।
उत्तर प्रदेश में, राज्य सरकार ने सोलर रूफटॉप इंस्टॉलेशन को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन शुरू किया है। यहाँ ₹15,000 प्रति kW (अधिकतम ₹30,000) की अतिरिक्त सब्सिडी दी जा रही है, जिससे कुल सब्सिडी ₹1,08,000 तक पहुँच सकती है। उदाहरण के लिए, एक 4 kW सोलर सिस्टम, जो औसतन 500 यूनिट बिजली प्रति माह उत्पन्न करता है, से आप प्रति वर्ष ₹44,000 तक बचा सकते हैं, अगर आपके राज्य में बिजली की दर ₹8 प्रति यूनिट है।
नई तकनीक ने सोलर पैनल्स को और भी किफायती और कुशल बनाया है। 2025 में, पॉलीक्रिस्टलाइन और मोनोक्रिस्टलाइन पैनल्स के बीच चयन उपलब्ध है, जहाँ पॉलीक्रिस्टलाइन पैनल्स सस्ते हैं, लेकिन मोनोक्रिस्टलाइन अधिक कुशल हैं। एक औसत 3-5 kW सिस्टम, जो अधिकांश भारतीय घरों की जरूरतों को पूरा करता है, की लागत ₹90,000 से ₹5,50,000 तक हो सकती है, लेकिन सब्सिडी के बाद यह लागत काफी कम हो जाती है।
उत्तर प्रदेश में, UPNEDA (Uttar Pradesh New & Renewable Energy Development Agency) ने सोलर रूफटॉप प्रोग्राम को लागू करने के लिए DISCOMs के साथ मिलकर एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से उपभोक्ता अपने सोलर सिस्टम की स्थापना के लिए आवेदन कर सकते हैं, सब्सिडी का दावा कर सकते हैं, और इंस्टॉलेशन की प्रगति को ट्रैक कर सकते हैं।
नई तकनीकों में ग्रिड-कनेक्टेड सिस्टम विशेष रूप से लोकप्रिय हैं, जो नेट मीटरिंग के माध्यम से अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में वापस बेचने की सुविधा देते हैं। इससे न केवल बिजली बिल कम होता है, बल्कि अतिरिक्त आय भी हो सकती है। ऑफ-ग्रिड सिस्टम, जो बैटरी स्टोरेज के साथ आते हैं, उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं जहाँ ग्रिड बिजली अविश्वसनीय है।
सोलर पैनल्स की स्थापना के लिए छत का लोड-बेयरिंग क्षमता होना आवश्यक है। अधिकांश भारतीय घरों की RCC या मेटल शीट छतें इसके लिए उपयुक्त हैं। Freyr Energy और SolarSquare जैसे ब्रांड्स उपभोक्ताओं को सब्सिडी आवेदन से लेकर इंस्टॉलेशन तक की पूरी प्रक्रिया में सहायता प्रदान करते हैं। Freyr Energy का दावा है कि उनके सिस्टम से बिजली बिल में 90% तक की कमी आ सकती है।
CEEW की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में रेजिडेंशियल रूफटॉप सोलर की तकनीकी क्षमता 637 GW है, जिसमें से 363 GW ग्रामीण क्षेत्रों में और 274 GW शहरी क्षेत्रों में है। हालांकि, कम बिजली खपत वाले घरों में बिना सब्सिडी के सोलर सिस्टम की व्यवहार्यता कम हो सकती है। इसके बावजूद, सब्सिडी और जागरूकता अभियानों के साथ, भारत 2022 के 40 GW रूफटॉप सोलर लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें से 11 GW पहले ही हासिल किया जा चुका है।
पर्यावरणीय दृष्टिकोण से, सोलर पैनल्स कार्बन उत्सर्जन को कम करते हैं। एक औसत रूफटॉप सोलर सिस्टम प्रतिवर्ष 50 पेड़ लगाने के बराबर कार्बन डाइऑक्साइड को कम करता है। साथ ही, यह घर की संपत्ति का मूल्य 4% तक बढ़ा सकता है, जो भविष्य में बिक्री के समय लाभकारी हो सकता है।
Disclaimer: यह लेख समाचार, रिपोर्ट्स, और विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है। सटीक जानकारी के लिए PM Surya Ghar Muft Bijli Yojana की आधिकारिक वेबसाइट या UPNEDA पोर्टल देखें।