“उत्तर प्रदेश में डिजिटल क्रांति तेजी से बढ़ रही है। सिटीजन फीडबैक पोर्टल्स के जरिए नागरिक अब शासन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। ये पोर्टल्स पारदर्शिता, जवाबदेही और सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। 2025 में यूपी सरकार के डिजिटल प्रयास नागरिकों की शिकायतों को तुरंत हल करने और शहरी विकास को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।”
उत्तर प्रदेश में डिजिटल बदलाव: सिटीजन फीडबैक पोर्टल्स की ताकत
उत्तर प्रदेश, भारत का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य, डिजिटल क्रांति के दौर से गुजर रहा है। राज्य सरकार ने सिटीजन फीडबैक पोर्टल्स को बढ़ावा देकर नागरिकों को शासन प्रक्रिया में शामिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। ये पोर्टल्स, जैसे कि जनसुनवाई पोर्टल और यूपी सरकार की अन्य डिजिटल पहल, नागरिकों को अपनी शिकायतें, सुझाव और फीडबैक सीधे सरकार तक पहुंचाने का मौका दे रहे हैं। 2025 में ये पोर्टल्स न केवल शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ा रहे हैं, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही को भी मजबूत कर रहे हैं।
जनसुनवाई पोर्टल: नागरिकों की आवाज का मंच
यूपी सरकार का जनसुनवाई पोर्टल एक ऐसा डिजिटल मंच है, जहां नागरिक अपनी शिकायतें ऑनलाइन दर्ज कर सकते हैं। 2024 के आंकड़ों के अनुसार, इस पोर्टल पर हर महीने औसतन 10 लाख से अधिक शिकायतें दर्ज की जा रही हैं, जिनमें से 85% का समाधान 30 दिनों के भीतर हो रहा है। यह पोर्टल राशन वितरण, बिजली आपूर्ति, सड़क मरम्मत और पुलिस सेवाओं जैसी विभिन्न समस्याओं को हल करने में प्रभावी साबित हुआ है। नागरिकों को मोबाइल ऐप या वेबसाइट के जरिए अपनी शिकायतें अपलोड करने और उनके स्टेटस को ट्रैक करने की सुविधा मिलती है।
पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार
सिटीजन फीडबैक पोर्टल्स ने सरकारी कामकाज में पारदर्शिता को बढ़ाया है। पहले जहां शिकायतों का समाधान महीनों तक लंबित रहता था, अब डिजिटल सिस्टम के जरिए रियल-टाइम मॉनिटरिंग संभव हो पाई है। उदाहरण के लिए, लखनऊ और कानपुर जैसे शहरों में नागरिकों ने सड़क निर्माण और कचरा प्रबंधन से जुड़ी शिकायतों को पोर्टल के माध्यम से उठाया, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई की। एक हालिया सर्वे में, 78% नागरिकों ने माना कि डिजिटल पोर्टल्स ने उनकी शिकायतों के समाधान में तेजी लाई है।
AI और डेटा एनालिटिक्स का योगदान
यूपी सरकार ने इन पोर्टल्स में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डेटा एनालिटिक्स को शामिल किया है, जिससे शिकायतों का विश्लेषण और प्राथमिकता निर्धारण आसान हो गया है। 2025 में AI-पावर्ड चैटबॉट्स का उपयोग बढ़ा है, जो नागरिकों को 24/7 सहायता प्रदान करते हैं। ये चैटबॉट्स हिंदी और अंग्रेजी में सवालों के जवाब देते हैं और शिकायत दर्ज करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, डेटा एनालिटिक्स के जरिए सरकार उन क्षेत्रों की पहचान कर रही है, जहां सेवाओं में सुधार की सबसे अधिक जरूरत है। उदाहरण के तौर पर, गोरखपुर और वाराणसी में बाढ़ प्रबंधन से जुड़े फीडबैक ने स्थानीय प्रशासन को बेहतर योजना बनाने में मदद की।
डिजिटल डिवाइड: चुनौतियां और समाधान
हालांकि, डिजिटल क्रांति के बावजूद, यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल डिवाइड एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल साक्षरता की कमी के कारण कई नागरिक इन पोर्टल्स का उपयोग नहीं कर पाते। 2023 के एक अध्ययन के अनुसार, यूपी के केवल 45% ग्रामीण परिवारों के पास स्मार्टफोन और इंटरनेट की सुविधा है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने कॉमन सर्विस सेंटर्स (CSCs) को बढ़ावा दिया है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल सेवाओं तक पहुंच प्रदान करते हैं। साथ ही, डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों के जरिए लोगों को ऑनलाइन पोर्टल्स का उपयोग सिखाया जा रहा है।
स्मार्ट सिटी मिशन के साथ तालमेल
यूपी की स्मार्ट सिटी परियोजनाएं, जैसे कि लखनऊ, आगरा और वाराणसी में चल रही पहल, सिटीजन फीडबैक पोर्टल्स के साथ मिलकर काम कर रही हैं। इन शहरों में डिजिटल ट्विन और IoT (Internet of Things) जैसी तकनीकों का उपयोग करके नागरिकों से फीडबैक लिया जा रहा है। उदाहरण के लिए, लखनऊ में डिजिटल ट्विन मॉडल के जरिए नागरिकों को प्रस्तावित शहरी योजनाओं का 3D विज़ुअलाइजेशन देखने और उस पर सुझाव देने का मौका मिलता है। इससे न केवल सहभागिता बढ़ी है, बल्कि योजनाओं को नागरिकों की जरूरतों के अनुसार ढाला जा रहा है।
भविष्य की संभावनाएं
2025 में यूपी सरकार का लक्ष्य है कि सभी 75 जिलों में सिटीजन फीडबैक पोर्टल्स को और सशक्त किया जाए। ब्लॉकचेन तकनीक को शामिल करने की योजना है, ताकि फीडबैक और शिकायतों की प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनाया जा सके। इसके अलावा, 5G नेटवर्क के विस्तार के साथ, ग्रामीण क्षेत्रों में भी डिजिटल सेवाओं की पहुंच बढ़ने की उम्मीद है। सरकार का यह भी लक्ष्य है कि 2026 तक 90% शिकायतों का समाधान 15 दिनों के भीतर हो।
सहभागी लोकतंत्र की ओर कदम
सिटीजन फीडबैक पोर्टल्स ने यूपी में सहभागी लोकतंत्र को बढ़ावा दिया है। नागरिक अब केवल शिकायतकर्ता नहीं, बल्कि शासन प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बन रहे हैं। यह डिजिटल क्रांति न केवल सरकारी सेवाओं को बेहतर बना रही है, बल्कि नागरिकों और सरकार के बीच विश्वास का एक नया पुल भी बना रही है। जैसे-जैसे तकनीक विकसित हो रही है, यूपी का यह मॉडल अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकता है।
Disclaimer: यह लेख हाल के समाचारों, सरकारी रिपोर्ट्स, और विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। डेटा और आंकड़े 2024-2025 की नवीनतम उपलब्ध जानकारी पर आधारित हैं। तकनीकी या नीतिगत बदलावों के लिए संबंधित सरकारी पोर्टल्स की जांच करें।