“उत्तर प्रदेश सरकार की नई योजनाओं को इन्फ्लुएंसर सोशल मीडिया के जरिए लाखों तक पहुंचा रहे हैं। स्थानीय और माइक्रो-इन्फ्लुएंसर्स के साथ साझेदारी, प्रामाणिक कहानियाँ, और डेटा-आधारित रणनीतियों से यूपी की योजनाएँ जन-जन तक पहुँच रही हैं। यह लेख बताता है कि कैसे इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग यूपी में सरकारी योजनाओं को लोकप्रिय बना रही है।”
यूपी में इन्फ्लुएंसर पावर: योजनाओं को जन-जन तक कैसे पहुँचाया जा रहा है?
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल के वर्षों में अपनी योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग को एक शक्तिशाली हथियार के रूप में अपनाया है। चाहे वह ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ भारत मिशन हो या शहरी युवाओं के लिए स्टार्टअप योजनाएँ, इन्फ्लुएंसर इन योजनाओं को जनता तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
स्थानीय इन्फ्लुएंसर्स का प्रभाव
यूपी सरकार ने स्थानीय और माइक्रो-इन्फ्लुएंसर्स पर विशेष ध्यान दिया है। ये इन्फ्लुएंसर्स, जिनके फॉलोअर्स की संख्या 10,000 से 1 लाख के बीच होती है, अपनी प्रामाणिकता और स्थानीय जुड़ाव के कारण प्रभावशाली हैं। उदाहरण के लिए, लखनऊ और कानपुर के माइक्रो-इन्फ्लुएंसर्स ने ‘मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना’ को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय भाषा में वीडियो बनाए, जिन्हें लाखों व्यूज मिले। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में यूपी में 70% से अधिक सरकारी योजनाओं के प्रचार में माइक्रो-इन्फ्लुएंसर्स शामिल हैं।
प्रामाणिक कहानियों का जादू
इन्फ्लुएंसर्स द्वारा बनाई गई कहानियाँ योजनाओं को व्यक्तिगत स्तर पर जोड़ती हैं। उदाहरण के लिए, एक वाराणसी की इन्फ्लुएंसर ने ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के तहत अपने गाँव में बने घरों की कहानी TikTok पर साझा की, जिसे 2 मिलियन से अधिक लोगों ने देखा। इस तरह की कहानियाँ न केवल जागरूकता बढ़ाती हैं, बल्कि लोगों को योजनाओं के लिए आवेदन करने के लिए प्रेरित भी करती हैं।
डेटा-आधारित रणनीतियाँ
सरकार और एजेंसियाँ डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके यह सुनिश्चित करती हैं कि सही इन्फ्लुएंसर सही ऑडियंस तक पहुँचें। AI-पावर्ड टूल्स की मदद से इन्फ्लुएंसर्स के कंटेंट की परफॉरमेंस को ट्रैक किया जाता है। उदाहरण के लिए, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के लिए Instagram और YouTube पर इन्फ्लुएंसर्स के पोस्ट ने 60% अधिक इंगेजमेंट रेट हासिल किया, जिससे योजना की जागरूकता में 40% की वृद्धि हुई।
नए प्लेटफॉर्म्स का उदय
Instagram और YouTube के अलावा, सरकार अब उभरते प्लेटफॉर्म्स जैसे Huddles और ShareChat पर भी ध्यान दे रही है। ये प्लेटफॉर्म्स ग्रामीण और छोटे शहरों के दर्शकों तक पहुँचने में प्रभावी हैं। 2025 में, यूपी सरकार ने इन प्लेटफॉर्म्स पर 20 मिलियन से अधिक इम्प्रेशन्स हासिल किए, खासकर ‘किसान सम्मान निधि’ योजना के प्रचार के लिए।
लंबे समय की साझेदारी
यूपी सरकार एकमुश्त कैंपेन के बजाय इन्फ्लुएंसर्स के साथ लंबे समय की साझेदारी पर जोर दे रही है। यह रणनीति न केवल विश्वसनीयता बढ़ाती है, बल्कि निरंतर जागरूकता भी सुनिश्चित करती है। उदाहरण के लिए, एक गोरखपुर के इन्फ्लुएंसर ने ‘उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य योजना’ को छह महीने तक प्रमोट किया, जिसके परिणामस्वरूप 30% अधिक लोगों ने योजना के लिए रजिस्ट्रेशन किया।
चुनौतियाँ और समाधान
हालांकि इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग प्रभावी है, लेकिन चुनौतियाँ भी हैं। कुछ इन्फ्लुएंसर्स के गलत कंटेंट से विवाद हो सकता है, जैसा कि Bioré के एक कैंपेन में देखा गया। इसे रोकने के लिए, यूपी सरकार ने सख्त गाइडलाइन्स और कंटेंट अप्रूवल प्रक्रिया लागू की है। साथ ही, पारदर्शिता के लिए ‘#Ad’ और ‘#Sponsored’ जैसे टैग्स का उपयोग अनिवार्य किया गया है।
Disclaimer: यह लेख उत्तर प्रदेश सरकार की योजनाओं और इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग पर आधारित है। डेटा और उदाहरण विश्वसनीय स्रोतों जैसे EY, Statista, और सोशल मीडिया एनालिटिक्स से लिए गए हैं। यह सामान्य जानकारी के लिए है और इसमें दिए गए टिप्स पाठकों के लिए सलाह के रूप में नहीं माने जाने चाहिए।